
आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में कमर दर्द एक आम समस्या बन गई है। लेकिन क्या हो अगर ये दर्द महीनों तक बना रहे, रातों की नींद उड़ा दे, और दिन के कामकाज पर भी असर डाले? फिल्म निर्माता विक्रम भट्ट ने हाल ही में एक ऐसी ही स्थिति का ज़िक्र किया – एक ऑटोइम्यून बीमारी जिसका नाम है एक्सियल स्पोंडिलोआर्थराइटिस।
यह सिर्फ कोई आम गठिया नहीं है। यह एक ऐसी स्थिति है जो आपकी रीढ़ की हड्डी और कमर के जोड़ों में सूजन और अकड़न पैदा कर सकती है। इसमें दर्द धीरे-धीरे शुरू होता है, लेकिन अगर समय पर इलाज न हो, तो यह शरीर की हड्डियों को आपस में जोड़ने तक पहुंच सकता है
क्या है एक्सियल स्पोंडिलोआर्थराइटिस?
यह एक ऑटोइम्यून डिज़ीज़ है – यानी शरीर की इम्यून सिस्टम खुद की ही हड्डियों और जोड़ों पर हमला करने लगती है। इसका मुख्य प्रभाव रीढ़ की हड्डी और पेल्विस के आसपास के जोड़ों पर पड़ता है। दिलचस्प बात यह है कि यह बीमारी अक्सर 45 की उम्र से पहले शुरू होती है – कभी-कभी किशोरावस्था में भी।
कैसे पहचानें इसके लक्षण?
लगातार और गहरा कमर दर्द, खासकर सुबह या लंबे समय बैठने के बाद
पीठ में अकड़न, जो हलचल करने पर कुछ बेहतर लगती है
थकान और शरीर में भारीपन
गंभीर मामलों में सांस लेने में दिक्कत
आंखों की रोशनी के प्रति संवेदनशीलता
एक खास बात यह है कि जहां दूसरी बीमारियों में आराम करने से दर्द कम होता है, इसमें उल्टा होता है – आराम करने पर दर्द और बढ़ सकता है।
इलाज क्या है?
दवाएं: दर्द और सूजन कम करने के लिए NSAIDs यानी नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स दी जाती हैं।
इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करने वाली दवाएं: जब सामान्य पेन किलर असर नहीं करें तो इम्यूनिटी को संतुलित करने वाली दवाएं दी जाती हैं।
फिजियोथेरेपी: नियमित एक्सरसाइज़, स्ट्रेचिंग और योग रीढ़ को लचीला बनाते हैं और अकड़न को कम करते हैं।
लाइफस्टाइल में बदलाव: अच्छी नींद, सही पोश्चर और धूम्रपान से दूरी – ये छोटे कदम लंबे समय तक राहत दे सकते हैं।
तनाव प्रबंधन: ऑटोइम्यून बीमारियों में मानसिक तनाव बड़ा ट्रिगर होता है, इसलिए ध्यान, प्राणायाम जैसे उपाय मददगार हो सकते हैं।
सर्जरी: कुछ बेहद गंभीर मामलों में ऑपरेशन की जरूरत पड़ सकती है।
क्या इससे बचाव मुमकिन है?
चूंकि यह ऑटोइम्यून बीमारी है, इसकी ठोस वजह अभी स्पष्ट नहीं है, इसलिए इसे पूरी तरह टालना आसान नहीं। लेकिन अगर समय पर इसके लक्षणों को पहचाना जाए, तो इसका असर काफी हद तक कम किया जा सकता है।
नियमित व्यायाम, हेल्दी डाइट, तनाव से दूरी और शरीर को एक्टिव बनाए रखना – ये सब इसके असर को कम करने में मदद कर सकते हैं।
कमर में लगातार दर्द को हल्के में न लें। यह सिर्फ एक मसल पुल नहीं, बल्कि किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है। अगर दर्द लंबे समय तक बना रहे, खासकर अगर वह सुबह के समय ज़्यादा महसूस हो, तो डॉक्टर से परामर्श लेना ज़रूरी है। सही समय पर सही कदम उठाना ही इस बीमारी से लड़ने का सबसे कारगर उपाय है।
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